हर जंजीर तोड़ते चलो, नदियों का रूख मोड़ते चलो । हर जंजीर तोड़ते चलो, नदियों का रूख मोड़ते चलो ।
अपना अपना करता है मन कुछ नहीं है अपना रे। अपना अपना करता है मन कुछ नहीं है अपना रे।
अपनेपन की खुश्बू-सी आती है मुझे , तुम्हारी साँसों से अपनेपन की खुश्बू-सी आती है मुझे , तुम्हारी साँसों से
अपना बचपन अपना बचपन
प्रवास मैंने महज दस दिनों का दिल्ली में लिया अपनी जीविका चलाने को, रवैया मुझे पसंद न प्रवास मैंने महज दस दिनों का दिल्ली में लिया अपनी जीविका चलाने को, रवैय...